राष्ट्र भक्ति कविता


कोई टोपी तो कोई अपनी पगड़ी बेच देता है,
मिले गर भाव अच्छा जज भी कुर्सी बेच देता है....तवायफ फिर भी अच्छी है के वो सीमित है कोठे तक,पुलिस वाला तो चौराहे पे वर्दी बेच देता है..जला दी जाती है ससुराल में अक्सर वही बेटी,
जिस बेटी की खातिर बाप किडनी बेच देता है..
कोई मासूम लड़की प्यार में कुर्बान है
जिस पर,बना कर विडियो उसकी वो प्रेमी बेच देता है...
ये कलयुग है कोई भी चीज नामुमकिन नहीं इसमें,
कलि, फल, पेड़, पौधे, फूल माली बेच देता है...
जुए में बिक गया हु मैं तो हैरत क्यों है..लोगो को,
युधिष्ठर तो जुए में अपनी पत्नी बेच देता है....
कोयले की दलाली में है मुँह काला यहाँ सबका,
इन्साफ की क्या बात करे इंसान ईमान बेच देता है..
जान दे दी वतन पर जिन बेनाम शहीदों ने,
इक हरामखोर आदमखोर नेता इस वतन को बेचदेता है|


Previous
Next Post »

आप अपने सुझाव हमें जरुर दे ....
आप के हर सुझाव का हम दिल से स्वागत करते है !!!!! ConversionConversion EmoticonEmoticon