जन्म से लेकर मृत्यु तक का सफर ही जीवन है !
बचपन ,जवानी और बृद्धाअवस्था ही जीवन के तीन पड़ाव है ,
जैसे कि एक पौधे में फुल,फल और पत्तिया तीन पड़ाव है !
आज जीवन तीन रंगो में डूबा हुआ है -
1-जटिलता
2 -कुटिलता
3 - प्रतिस्पर्धा
सभी शामिल है एक अंधी दौड़ में, लक्ष्य या मंजिल ज्ञात नही है और अनजान है !
शांति लुप्त हो रही है, क्यों नही लोग इस शांति को खोजने का पयत्न कर रहे है !
क्यों नही लोग फुल जैसा बनने की कोशिश कर रहे है ,दुनिया और समाज में प्रकाश तब आएगा !
जब एक - एक ब्यक्ति के अन्दर दुसरे ब्यक्ति के लिए आत्मीयता का भाव जागृत होगा ...!
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