Srimad Bhagwat Geeta Adhyay 3 Karmayog shloka 14 in hindi

अध्याय 3 - कर्मयोग 

श्लोक - 14 

प्राणी अन्न पर आश्रित है, जो वर्षा से उत्पन होता है! वर्षा यज्ञ सम्पन्न करने से होता है और यज्ञ नियत कर्मो से उत्पन्न होता है!

आन्नाभ्दवति भूतानि पर्जन्यादन्नसम्भ: I
यज्ञाभ्दवति पर्जन्यो यज्ञ: कर्मसमुभ्द्व: II14II

अन्नात - अन्न से; भवन्ति - उत्पन्न होते है; भूतानि - भौतिक शरीर; 
पर्जन्यात - वर्षा से; अन्न - अन्न का; सम्भव: - उत्पादन; यज्ञात - यज्ञ सम्पन्न करने से; भवति - सम्भव होती है; पर्जन्य: - वर्षा; यज्ञ - यज्ञ का सम्पन्न होना; कर्म - नियत कर्तब्य से; समुभ्दव: - उत्पन्न् होता है I

भावार्थ-
सारे प्राणी अन्न पर आश्रित है, जो वर्षा से उत्पन्न होता है ! वर्षा यज्ञ सम्पन्न करने से होती है और यज्ञ नियत कर्मो से उत्पन्न होता है !
तात्पर्य-
प्रभु, जो यज्ञ पुरुष अथवा समस्त यज्ञो के भोक्ता कहलाते है, सभी देवताओ के स्वामी है और जिस प्रकार शरीर के अंग पूरे शरीर की सेवा करते है तरह सारे देवता उनकी सेवा करते है! इंद्र, चन्द्र तथा वरुण जैसे देवता प्रभु द्वारा न्युक्त किए गये अधिकारी है, जो सांसारिक कर्यो की देख रेख करते है! सारे वेद इन देवताओ को प्रसन्न करने के लिए यज्ञो का निर्देश करते है, जिससे वे अन्न उत्पादन के लिए प्रचुर वायु, प्रकाश तथा जल प्रदान करे! जब कृष्ण की पूजा की जाती है तो उनके अग्नस्वरूप देवताओ की भी स्वत: पूजा हो जाती है, अतः देवताओ की अलग से पूजा करने नहीं होती! इसी हेतु कृष्ण भावनाभावित भगवद्भक्त सर्वप्रथम कृष्ण को भोजन अर्पित करते है और तब खाते है- यह ऐसी विधि है जिससे शरीर का आध्यात्मिक पोषक होता है! ऐसा करने से न केवल शरीर के विगत पापमय कर्मफल नष्ट होते है, अपितु शरीर प्रकृति के समस्त कल्मषो से निरापद हो जाता है! 
आतः कृष्ण भावना भावित व्यक्ति, जो केवल कृष्ण को अर्पित किया भोजन करता है, जो आत्म- साक्षात्कार के मार्ग में बाधक बनते है! इसके विपरीत जो नहीं करता है वह अपने पाप पूर्ण कर्म को बढाता रहता है जिससे उसे सारे पापफलो को भोगने के लिए अगला शरीर कुकरो- सुकरो के समान मिलता है!!!!

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1 comments:

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March 28, 2020 at 5:52 PM ×

जिस प्रकार वर्तमान समय सम्पूर्ण विश्व चायनीज वायरस की चपेट में हैं आवश्यकता है कि इस महामारी से विश्व को मुक्ति दिलाई जाए लेकिन यह मुक्ति दिलाएगा कौन ?
उत्तर है भारत कर्मभूमि के नाम से जाना जाने वाला भारत ही सम्पूर्ण विश्व को इस महामारी से मुक्त कर सकता है और उसका निमित्त बनेगा यज्ञ जी हां वैदिक दृष्टि से यज्ञ ही एकमात्र
विकल्प है जो इस वातावरण और मानव जीवन को आरोग्यता प्रदान कर सकता है
इसलिए इस नवरात्र में पुरोहितों के अभाव में यज्ञ कार्य स्थगित ना आपने पुरोहितों से सम्पर्क करें और सोशल मीडिया के माध्यम से यज्ञ सम्पन्न कराए

Congrats bro पं.अरविन्द मिश्र you got PERTAMAX...! hehehehe...
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